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21 इस विषय में न तेरा कोई हिस्सा है, और न कोई साझा क्योंकि परमेश्वर के सम्मुख तेरा हृदय ठीक नहीं है। 22 इसलिए अपनी इस दुष्टता से मन फिराव कर और प्रभु से प्रार्थना कर। हो सकता है तेरे मन में जो विचार था, उस विचार के लिये तू क्षमा कर दिया जाये। 23 क्योंकि मैं देख रहा हूँ कि तू कटुता से भरा है और पाप के चंगुल में फँसा है।”

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