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तथा उन्हें सारी स्थिति के बारे में बताते हुए योप्पा नगर भेज दिया.

ये लोग दूसरे दिन छठे घण्टे के लगभग योप्पा नगर के पास पहुँचे. उसी समय पेतरॉस घर की खुली छत पर प्रार्थना करने गए थे. 10 वहाँ उन्हें भूख लगी और कुछ खाने की इच्छा बहुत बढ़ गई. जब भोजन तैयार किया ही जा रहा था, पेतरॉस ध्यानमग्न हो गए.

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