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29 “इसलिए परमेश्वर के वंशज होने के कारण हमारी यह धारणा अनुचित है कि ईश्वरत्व सोने-चांदी, पत्थर, कलाकार की कलाकृति तथा मानव-विचार के समान है. 30 अब तक तो परमेश्वर इस अज्ञानता की अनदेखी करते रहे हैं किन्तु अब परमेश्वर हर जगह हरेक व्यक्ति को पश्चाताप का बुलावा दे रहे हैं 31 क्योंकि उन्होंने एक दिन तय किया है जिसमें वह धार्मिकता में स्वयं अपने द्वारा ठहराए हुए उस व्यक्ति के माध्यम से संसार का न्याय करेंगे जिन्हें उन्होंने मरे हुओं में से दोबारा जीवित करने के द्वारा सभी मनुष्यों के सामने प्रमाणित कर दिया है.”

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