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10 मैंने पूछा, “‘मैं क्या करूँ, प्रभु?’ प्रभु ने मुझे उत्तर दिया.

“‘उठो,’ ‘दमिश्क नगर में जाओ, वहीं तुम्हें बताया जाएगा कि तुम्हारे द्वारा क्या-क्या किया जाना तय किया गया है.’ 11 तेज़ प्रकाश के कारण मैं देखने की क्षमता खो बैठा था. इसलिए मेरे साथी मेरा हाथ पकड़ कर मुझे दमिश्क नगर ले गए.”

12 “हननयाह नामक व्यक्ति, जो व्यवस्था के अनुसार परमेश्वर भक्त और सभी स्थानीय यहूदियों द्वारा सम्मानित थे,

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