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15 आपने जो कुछ देखा और सुना है, वह सब के सामने आपकी गवाही का विषय होगा. 16 तो अब देर क्यों? उठिए, बपतिस्मा लीजिए—प्रभु के नाम की दोहाई देते हुए पाप-क्षमा प्राप्त कीजिए.’”

17 “येरूशालेम लौटने पर जब मैं मन्दिर में प्रार्थना कर रहा था, मैं ध्यान मग्न की स्थिति में पहुँच गया.

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