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17 “येरूशालेम लौटने पर जब मैं मन्दिर में प्रार्थना कर रहा था, मैं ध्यान मग्न की स्थिति में पहुँच गया. 18 मैंने प्रभु को स्वयं से यह कहते सुना, ‘बिना देर किए येरूशालेम छोड़ दो क्योंकि मेरे विषय में तुम्हारे द्वारा दी गई गवाही इन्हें स्वीकार नहीं होगी.’ 19 मैंने उत्तर दिया, ‘प्रभु, वे स्वयं यह जानते हैं कि एक-एक यहूदी आराधनालय से मैं आपके शिष्यों को चुन-चुन कर बन्दी बनाता तथा यातनाएँ देता था.

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