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15 जब मैं येरूशालेम गया हुआ था वहाँ प्रधान याजकों तथा यहूदी प्राचीनों ने उस पर आरोप लगाए थे. उन्होंने उसे मृत्युदण्ड दिए जाने की माँग की. 16 मैंने उनके सामने रोमी शासन की नीति स्पष्ट करते हुए उनसे कहा कि इस नीति के अन्तर्गत दोषी और दोष लगानेवालों के आमने-सामने सवाल जवाब किए बिना तथा दोषी को अपनी सफ़ाई पेश करने का अवसर दिए बिना दण्ड देना सही नहीं है.

17 “इसलिए उनके यहाँ इकट्ठा होते ही मैंने बिना देर किए दूसरे ही दिन इस व्यक्ति को न्यायालय में प्रस्तुत किए जाने की आज्ञा दी.

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