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23 अगले दिन जब राजा अग्रिप्पा और बेरनिके ने औपचारिक धूम-धाम के साथ सभागार में प्रवेश किया, उनके साथ सेनापति और गणमान्य नागरिक भी थे. फ़ेस्तुस की आज्ञा पर पौलॉस को वहाँ लाया गया. 24 फ़ेस्तुस ने कहना शुरु किया, “महाराज अग्रिप्पा तथा उपस्थित सज्जनो! इस व्यक्ति को देखिए, जिसके विषय में सारे यहूदी समाज ने येरूशालेम और यहाँ कयसरिया में मेरे न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की है. ये लोग चिल्ला-चिल्ला कर यह कह रहे हैं कि अब उसे एक क्षण भी जीवित रहने का अधिकार नहीं है. 25 किन्तु अपनी जांच में मैंने इसमें ऐसा कुछ भी नहीं पाया जिसके लिए उसे मृत्युदण्ड दिया जाए और अब, जब उसने स्वयं सम्राट के न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की है, मैंने उसे रोम भेज देने का निश्चय किया है.

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