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12 “इसी उद्धेश्य से एक बार मैं प्रधान याजकों से अधिकारपत्र प्राप्त कर दमिश्क नगर जा रहा था. 13 महाराज! दोपहर के समय मैंने और मेरे सहयात्रियों ने आकाश से सूर्य से भी कहीं अधिक तेज़ ज्योति देखी. 14 जब हम सब भूमि पर गिर पड़े, मुझे इब्री भाषा में सम्बोधित करता हुआ एक शब्द सुनाई दिया, ‘शाऊल! शाऊल! तुम मुझे क्यों सता रहे हो? पैने पर लात मारना तुम्हारे लिए ही हानिकर है.’”

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