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18 कि उनकी आँखें खोलूँ तथा उन्हें अन्धकार से निकाल कर ज्योति में और शैतान के अधिकार से परमेश्वर के राज्य में ले आऊँ कि वे पाप-क्षमा प्राप्त कर सकें और उनके सामने आ जाएँ, जो मुझ में विश्वास के द्वारा परमेश्वर के लिए अलग किए गए हैं.’”

19 “इसलिए महाराज अग्रिप्पा, मैंने स्वर्गीय दर्शन की बात नहीं टाली. 20 मैंने सबसे पहिले दमिश्क नगर में, इसके बाद येरूशालेम तथा सारे यहूदिया प्रदेश तथा अन्यजातियों में भी यह प्रचार किया कि वे पश्चाताप करके परमेश्वर की ओर लौट आएँ तथा अपने स्वभाव के द्वारा अपने पश्चाताप को प्रमाणित करें.

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