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प्रेरित 26:9-11
Saral Hindi Bible
प्रेरित 26:9-11
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9 “मेरी अपनी मान्यता भी यही थी कि नाज़रेथवासी येशु के नाम के विरोध में मुझे बहुत कुछ करना ज़रूरी है. 10 येरूशालेम में मैंने ठीक यही किया भी. प्रधान याजकों से अधिकार पत्र लेकर मैं अनेक शिष्यों को कारागार में डाल देता था, जब उनकी हत्या की जाती थी तो उसमें मेरी भी सम्मति होती थी. 11 अक्सर सभी यहूदी आराधनालयों में जाकर मैं उन्हें दण्डित करते हुए मसीह येशु की निन्दा के लिए बाध्य करने का प्रयास भी करता था और क्रोध में पागल होकर मैं उनका पीछा करते हुए सीमा पार के नगरों में भी उन्हें सताया करता था.”
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Saral Hindi Bible (SHB)
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