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उनके सन्देश को सुनकर अनेकों ने विश्वास किया, जिनकी संख्या लगभग पाँच हज़ार तक पहुँच गई.

अगले दिन यहूदियों के राजा, पुरनिये और शास्त्री येरूशालेम में इकट्ठा थे. वहाँ महायाजक हन्ना, कायाफ़स, योहन, अलेक्सान्दरॉस तथा महायाजकीय वंश के सभी सदस्य इकट्ठा थे.

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