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25 किन्तु रात में शिष्यों ने उन्हें टोकरे में बैठा कर नगर की शहरपनाह से नीचे उतार दिया.

शाऊल का येरूशालेम प्रवास

26 येरूशालेम पहुँच कर शाऊल ने मसीह येशु के शिष्यों में शामिल होने का प्रयास किया किन्तु वे सब उनसे भयभीत थे क्योंकि वे विश्वास नहीं कर पा रहे थे कि शाऊल भी अब वास्तव में मसीह येशु के शिष्य हो गए हैं 27 परन्तु बारनबास उन्हें प्रेरितों के पास ले गए और उन्हें स्पष्ट बताया कि मार्ग में किस प्रकार शाऊल को प्रभु का दर्शन प्राप्त हुआ और प्रभु ने उनसे बातचीत की तथा कैसे उन्होंने दमिश्क नगर में मसीह येशु के नाम का प्रचार निडरता से किया है.

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