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28 इसलिए शाऊल येरूशालेम में प्रेरितों के साथ निधड़क होकर रहने लगे तथा मसीह येशु के नाम का प्रचार निडरता से करने लगे. 29 वह यूनानी भाषा के यहूदियों से बातचीत और वाद-विवाद करते थे जबकि वे भी उनकी हत्या की कोशिश कर रहे थे. 30 जब अन्य शिष्यों को इसके विषय में मालूम हुआ, वे उन्हें कयसरिया नगर ले गए जहाँ से उन्होंने उन्हें तारस्यॉस नगर भेज दिया.

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