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वह नेक मनुष्य है जो यहोवा के उपदेशों से प्रीति रखता है।
    वह तो रात दिन उन उपदेशों का मनन करता है।
इससे वह मनुष्य उस वृक्ष जैसा सुदृढ़ बनता है
    जिसको जलधार के किनारे रोपा गया है।
वह उस वृक्ष समान है, जो उचित समय में फलता
    और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं।
वह जो भी करता है सफल ही होता है।

किन्तु दुष्ट जन ऐसे नहीं होते।
    दुष्ट जन उस भूसे के समान होते हैं जिन्हें पवन का झोका उड़ा ले जाता है।

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