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ऐसे दुष्ट का मुख सदा शाप देता रहता है। वे दूसरे जनों की निन्दा करते हैं
    और काम में लाने को सदैव बुरी—बुरी योजनाएँ रचते रहते हैं।
ऐसे लोग गुप्त स्थानों में छिपे रहते हैं,
    और लोगों को फँसाने की प्रतीक्षा करते हैं।
    वे लोगों को हानि पहुँचाने के लिये छिपे रहते हैं और निरपराधी लोगों की हत्या करते हैं।
दुष्ट जन सिंह के समान होते हैं जो
    उन पशुओं को पकड़ने की घात में रहते हैं। जिन्हें वे खा जायेंगे।
दुष्ट जन दीन जनों पर प्रहार करते हैं।
    उनके बनाये गये जाल में असहाय दीन फँस जाते हैं।

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