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मेरा गहरा दु:ख बस मेरा भोजन है।
    मेरे पेयों में मेरे आँसू गिर रहे हैं।
10 क्यों क्योंकि यहोवा तू मुझसे रूठ गया है।
    तूने ही मुझे ऊपर उठाया था, और तूने ही मुझको फेंक दिया।

11 मेरे जीवन का लगभग अंत हो चुका है। वैसे ही जैसे शाम को लम्बी छायाएँ खो जाती है।
    मैं वैसा ही हूँ जैसे सूखी और मुरझाती घास।

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