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11 सो हे, परमेश्वर! मुझको मत बिसरा,
    संकट निकट है, और कोई भी व्यक्ति मेरी सहायता को नहीं है।
12 मैं उन लोगों से घिरा हूँ,
    जो शक्तिशाली साँड़ों जैसे मुझे घेरे हुए हैं।
13 वे उन सिंहो जैसे हैं, जो किसी जन्तु को चीर रहे हों
    और दहाड़ते हो और उनके मुख विकराल खुले हुए हो।

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