Add parallel Print Page Options

15 मेरा मुख सूखे ठीकर सा है।
    मेरी जीभ मेरे अपने ही तालू से चिपक रही है।
    तूने मुझे मृत्यु की धूल में मिला दिया है।
16 मैं चारों तरफ कुतों से घिर हूँ,
    दुष्ट जनों के उस समूह ने मुझे फँसाया है।
    उन्होंने मेरे मेरे हाथों और पैरों को सिंह के समान भेदा है।
17 मुझको अपनी हड्डियाँ दिखाई देती हैं।
    ये लोग मुझे घूर रहे हैं।
    ये मुझको हानि पहुँचाने को ताकते रहते हैं।

Read full chapter