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18 दुर्जन डींग हाँकते हैं
    और सज्जनों के विषय में झूठ बोलते हैं।
वे दुर्जन बहुत ही अभिमानी होते हैं।
    किन्तु उनके होंठ जो झूठ बोलते रहते हैं, शब्द हीन होंगे।

19 हे परमेश्वर, तूने अपने भक्तों के लिए बहुत सी अदूभुत वस्तुएँ छिपा कर रखी हैं।
    तू सबके सामने ऐसे मनुष्यों के लिए जो तेरे विश्वासी हैं, भले काम करता है।
20 दुर्जन सज्जनों को हानि पहुँचाने के लिए जुट जाते हैं।
    वे दुर्जन लड़ाई भड़काने का जतन करते हैं।
    किन्तु तू सज्जनों को उनसे छिपा लेता है, और उन्हें बचा लेता है। तू सज्जनों की रक्षा अपनी शरण में करता है।

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