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21 यहोवा कि स्तुति करो! जब नगर को शत्रुओं ने घेर रखा था,
    तब उसने अपना सच्चा प्रेम अद्भुत रीति से दिखाया।
22 मैं भयभीत था, और मैंने कहा था, “मैं तो ऐसे स्थान पर हूँ जहाँ मुझे परमेश्वर नहीं देख सकता है।”
    किन्तु हे परमेश्वर, मैंने तुझसे विनती की और तूने मेरी सहायता की पुकार सुन ली।

23 परमेश्वर के भक्तों, तुम को यहोवा से प्रेम करना चाहिए!
    यहोवा उन लोगों को जो उसके प्रति सच्चे हैं, रक्षा करता है।
किन्तु यहोवा उनको जो अपनी ताकत की ढोल पीटते है।
    उनको वह वैसा दण्ड देता है, जैसा दण्ड उनको मिलना चाहिए।

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