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15 पर जब मुझसे कोई एक चूक हो गई, उन लोगों ने मेरी हँसी उड़ाई।
    वे लोग सचमुच मेरे मित्र नहीं थे।
मैं उन लोगोंको जानता तक नहीं। उन्होंने मुझको घेर लिया और मुझ पर प्रहार किया।
16 उन्होंने मुझको गालियाँ दीं और हँसी उड़ायी।
    अपने दाँत पीसकर उन लोगों ने दर्शाया कि वे मुझ पर क्रुद्ध हैं।

17 मेरे स्वामी, तू कब तक यह सब बुरा होते हुए देखेगा ये लोग मुझे नाश करने का प्रयत्न कर रहे हैं।
    हे यहोवा, मेरे प्राण बचा ले। मेरे प्रिय जीवन की रक्षा कर। वे सिंह जैसे बन गए हैं।

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