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12 हे परमेश्वर, तूने अपने जनों को यूँ ही बेच दिया,
    और उनके मूल्य पर भाव ताव भी नहीं किया।
13 तूने हमें हमारे पड़ोसियों में हँसी का पात्र बनाया।
    हमारे पड़ोसी हमारा उपहास करते हैं, और हमारी मजाक बनाते हैं।
14 लोग हमारी भी काथा उपहास कथाओं में कहते हैं।
    यहाँ तक कि वे लोग जिनका आपना कोई राष्ट्र नहीं है, अपना सिर हिला कर हमारा उपहास करते हैं।

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