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18 आ, मेरे प्राण बचा ले।
    तू मुझको मेरे शत्रुओं से छुड़ा ले।
19 तू मेरा निरादर जानता है।
    तू जानता है कि मेरे शत्रुओं ने मुझे लज्जित किया है।
    उन्हें मेरे संग ऐसा करते तूने देखा है।
20 निन्दा ने मुझको चकनाचूर कर दिया है!
    बस निन्दा के कारण मैं मरने पर हूँ।
मैं सहानुभूति की बाट जोहता रहा, मैं सान्त्वना की बाट जोहता रहा,
    किन्तु मुझको तो कोई भी नहीं मिला।

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