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18 यही है मेरा चुना हुआ सेवक,
    मेरा प्रियपात्र,
जिसमें मेरे प्राण को पूरा सन्तोष है.
    मैं उसे अपने आत्मा से भरा करूँगा
    और वह अन्यजाति में न्याय की घोषणा करेगा.
19 वह न तो विवाद करेगा,
    न ऊँचे शब्द में कुछ कहेगा और
    न ही गलियों में कोई उसका शब्द सुन सकेगा.
20 वह तब तक कुचले गए सरकण्डे को
    तोड़ कर न फेंकेगा और न बुझते हुए दीपक को बुझाएगा,
जब तक वह न्याय को विजय तक न पहुँचा दे.

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