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वस्तुतः तुमने यदि इस बात का अर्थ समझा होता: ‘मैं बलि की नहीं परन्तु दया की कामना करता हूँ’, तो तुमने इन निर्दोषों पर आरोप न लगाया होता. क्योंकि मानव-पुत्र शब्बाथ का स्वामी है.”

वहाँ से चल कर येशु यहूदी-सभागृह में गए.

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