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29 “वह दास इस दास के पाँवों पर गिर पड़ा और विनती करने लगा, ‘थोड़ा धीरज रखो. मैं सब लौटा दूँगा.’

30 “किन्तु उस दास ने उसकी विनती पर ज़रा भी ध्यान न दिया और उसे ले जा कर कारागार में डाल दिया कि जब तक वह कर्ज़ न लौटाए, वहीं रहे. 31 इसलिए जब अन्य दासों ने यह सब देखा, वे अत्यन्त उदास हो गए और आ कर स्वामी को इसकी सूचना दी.

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