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अगुवा सेवक बने

(मारक 10:35-45)

24 यह सुन शेष दस शिष्य इन दोनों भाइयों पर क्रोधित हो गए; 25 किन्तु येशु ने उन सभी को अपने पास बुला कर उनसे कहा, “तुम यह तो जानते ही हो कि अन्यजातियों के राजा अपने आधीन रहनेवालों का शोषण करते तथा उनके हाकिम उन पर अपना अधिकार जताते हैं. 26 तुममें ऐसा नहीं है, तुममें जो महान बनने की इच्छा रखता है, वह तुम्हारा सेवक बने

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