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वह दोबारा छठे तथा नवें घण्टे नगर-चौक में गया और ऐसा ही किया. लगभग ग्यारहवें घण्टे वह दोबारा वहाँ गया और कुछ अन्यों को वहाँ खड़े पाया. उसने उनसे प्रश्न किया, ‘तुम सारे दिन यहाँ बेकार क्यों खड़े रहे?’

“‘उन्होंने उसे उत्तर दिया’, ‘इसलिए कि किसी ने हमें काम नहीं दिया’.

“उसने उनसे कहा, ‘तुम भी मेरे दाख की बारी में चले जाओ.’

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