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दूसरी ओर प्रधान याजक और वरिष्ठ नागरिक कायाफ़स नामक महायाजक के घर के आँगन में इकट्ठा हुए. उन्होंने मिल कर येशु को छलपूर्वक पकड़ कर उनकी हत्या कर देने का विचार किया. वे यह विचार भी कर रहे थे: “यह फ़सह उत्सव के अवसर पर न किया जाए—कहीं इससे लोगों में बलवा न भड़क उठे.”

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