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क्योंकि जैसे तुम किसी पर दोष लगाते हो, उसी प्रकार तुम पर भी दोष लगाया जाएगा तथा माप के लिए तुम जिस बर्तन का प्रयोग करते हो वही तुम्हारे लिए इस्तेमाल किया जाएगा. तुम भला अपने भाई की आँख के कण की ओर उंगली क्यों उठाते हो जबकि तुम स्वयं अपनी आँख में पड़े लट्ठे की ओर ध्यान नहीं देते? या तुम भला यह कैसे कह सकते हो ‘ज़रा ठहरो, मैं तुम्हारी आँख से वह कण निकाल देता हूँ,’ जबकि तुम्हारी अपनी आँख में तो लट्ठा पड़ा हुआ है?

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