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मजदूरों की दृष्टान्त-कथा

20 “स्वर्ग का राज्य एक ज़मींदार के समान है जो सुबह सवेरे अपने अंगूर के बगीचों के लिये मज़दूर लाने को निकला। उसने चाँदी के एक रुपये पर मज़दूर रख कर उन्हें अपने अंगूर के बगीचे में काम करने भेज दिया।

“नौ बजे के आसपास ज़मींदार फिर घर से निकला और उसने देखा कि कुछ लोग बाजार में इधर उधर यूँ ही बेकार खड़े हैं।

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