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24 मनुष्य का पुत्र तो जायेगा ही, जैसा कि उसके बारे में शास्त्र में लिखा है। पर उस व्यक्ति को धिक्कार है जिस व्यक्ति के द्वारा मनुष्य का पुत्र पकड़वाया जा रहा है। उस व्यक्ति के लिये कितना अच्छा होता कि उसका जन्म ही न हुआ होता।”

25 तब उसे धोखे से पकड़वानेवाला यहूदा बोल उठा, “हे रब्बी, वह मैं नहीं हूँ। क्या मैं हूँ?”

यीशु ने उससे कहा, “हाँ, ऐसा ही है जैसा तूने कहा है।”

प्रभु का भोज

(मरकुस 14:22-26; लूका 22:15-20; 1 कुरिन्थियों 11:23-25)

26 जब वे खाना खा ही रहे थे, यीशु ने रोटी ली, उसे आषीष दी और फिर तोड़ा। फिर उसे शिष्यों को देते हुए वह बोला, “लो, इसे खाओ, यह मेरी देह है।”

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