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42 यदि कोई तुझसे कुछ माँगे तो उसे वह दे दे। जो तुझसे उधार लेना चाहे, उसे मना मत कर।

सबसे प्रेम रखो

(लूका 6:27-28, 32-36)

43 “तुमने सुना है: कहा गया है ‘तू अपने पड़ौसी से प्रेम कर(A) और शत्रु से घृणा कर।’ 44 किन्तु मैं कहता हूँ अपने शत्रुओं से भी प्यार करो। जो तुम्हें यातनाएँ देते हैं, उनके लिये भी प्रार्थना करो।

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