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10 क्या तुमने शास्त्र का यह वचन नहीं पढ़ा है:

‘वह पत्थर जिसे कारीगरों ने बेकार माना,
    वही कोने का पत्थर बन गया।’
11 यह प्रभु ने किया,
    जो हमारी दृष्टि में अद्भुत है।’”(A)

12 वे यह समझ गये थे कि उसने जो दृष्टान्त कहा है, उनके विरोध में था। सो वे उसे बंदी बनाने का कोई रास्ता ढूँढने लगे, पर लोगों से वे डरते थे इसलिये उसे छोड़ कर चले गये।

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