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वे कह रहे थे, “किन्तु यह हमें पर्व के दिनों में नहीं करना चाहिये, नहीं तो हो सकता है, लोग कोई फसाद खड़ा करें।”

यीशु पर इत्र उँडेलना

(मत्ती 26:6-13; यूहन्ना 12:1-8)

जब यीशु बैतनिय्याह में शमौन कोढ़ी के घर भोजन करने बैठा था, तभी एक स्त्री सफेद चिकने स्फटिक के एक पात्र में शुद्ध बाल छड़ का इत्र लिये आयी। उसने उस पात्र को तोड़ा और इत्र को यीशु के सिर पर उँडेल दिया।

इससे वहाँ कुछ लोग बिगड़ कर आपस में कहने लगे, “इत्र की ऐसी बर्बादी क्यों की गयी है?

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