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34 जब मसीह येशु ने यह देखा कि उसने बुद्धिमानी से उत्तर दिया है, उन्होंने उससे कहा, “तुम परमेश्वर के राज्य से दूर नहीं हो.”

इसके बाद किसी में भी उनसे और प्रश्न करने का साहस न रहा.

35 मन्दिर के आँगन, में शिक्षा देते हुए मसीह येशु ने उनके सामने यह प्रश्न रखा, “शास्त्री यह क्यों कहते हैं कि मसीह दाविद के वंशज हैं? 36 दाविद ने, पवित्रात्मा, में आत्मलीन हो कहा था:

“‘प्रभु याहवेह ने मेरे प्रभु से कहा:
    “मेरी दायीं ओर बैठे रहो
मैं तुम्हारे शत्रुओं को तुम्हारे अधीन करूँगा.” ’

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