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35 उस व्यक्ति के कान खुल गए, उसकी जीभ की रुकावट भी जाती रही और वह सामान्य रूप से बातें करने लगा.

36 मसीह येशु ने लोगों को आज्ञा दी कि वे इसके विषय में किसी से न कहें किन्तु मसीह येशु जितना रोकते थे, वे उतना ही अधिक प्रचार करते जाते थे. 37 लोग आश्चर्य से भरकर कहा करते थे, “वह जो कुछ करते हैं, भला ही करते हैं—यहाँ तक कि वह बहिरे को सुनने की तथा गूंगे को बोलने की शक्ति प्रदान कर रहे हैं.”

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