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व्यवस्था यरूशलेम से आयेगी

आगे आने वाले समय में यह घटना घटेगी यहोवा के मन्दिर का पर्वत
    सभी पर्वतों में अत्यन्त ही महत्वपूर्ण हो जायेगा।
उसे पहाड़ों के ऊपर उठा दिया जायेगा।
    दूसरे देशों के लोग इसकी ओर उमड़ पड़ेंगे।
अनेक जातियाँ यहाँ आ कर कहेंगी,
    “आओ! चलो, यहोवा के पहाड़ के ऊपर चलें।
    याकूब के परमेश्वर के मन्दिर चलें।
फिर परमेश्वर हमको अपनी राह सिखायेगा
    और फिर हम उसके पथ में बढ़ते चले जायेंगे।”

क्यों क्योंकि परमेश्वर की शिक्षाएँ सिय्योन से आयेंगी
    और यहोवा का वचन यरूशलेम से आयेगा।
परमेश्वर बहुत सी जातियों का न्याय करेगा।
    परमेश्वर उन सशक्त देशों के फैसले करेगा,
जो बहुत—बहुत दूर हैं और फिर वे देश अपनी तलवारें गलाकर
    और पीटकर हल की फाली में बदल लेंगे।
    वे देश अपने भालो को पीटकर ऐसे औजारों मे बदल लेंगे, जिनसे पेड़ों की कांट—छाँट हुआ करती है।
देश तलवारें उठाकर आपस में नहीं लड़ेंगे।
    अब वे युद्ध की विद्याएँ और अधिक नहीं सीखेंगे।

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