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14 तुम्हारी मासिक बैठकों और सभाओं से मुझे अपने सम्पूर्ण मन से घृणा है। ये सभाएँ मेरे लिये एक भारी भरकम बोझ सी बन गयी है और इन बोझों को उठाते उठाते अब मैं थक चुका हूँ।

15 “तुम लोग हाथ उठाकर मेरी प्रार्थना करोगे किन्तु मैं तुम्हारी ओर देखूँगा तक नहीं। तुम तोग अधिकाधिक प्रार्थना करोगे, किन्तु मैं तुम्हारी सुनने तक को मना कर दूँगा क्योंकि तुम्हारे हाथ खून से सने हैं।

16 “अपने को धो कर पवित्र करो। तुम जो बुरे कर्म करते हो, उनका करना बन्द करो। मैं उन बुरी बातों को देखना नहीं चाहता। बुरे कामों को छोड़ो।

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