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परमेश्वर का एक स्तुति—गीत

25 हे यहोवा, तू मेरा परमेश्वर है।
    मैं तेरे नाम की स्तुति करता हूँ
और मैं तुझे सम्मान देता हूँ।
तूने अनेक अद्भुत कार्य किये हैं।
    जो भी शब्द तूने बहुत पहले कहे थे वे पूरी तरह से सत्य हैं।
    हर बात वैसी ही घटी जैसे तूने बतायी थी।
तूने नगर को नष्ट किया।
    वह नगर सुदृढ़ प्राचीरों से संरक्षित था।
किन्तु अब वह मात्र पत्थरों का ढेर रह गया।
    परदेसियों का महल नष्ट कर दिया गया।
    अब उसका फिर से निर्माण नहीं होगा।
सामर्थी लोग तेरी महिमा करेंगे।
    क्रूर जातियों के नगर तुझसे डरेंगे।

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