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15 हे यहोवा, तूने जाति को बढ़ाया।
    जाति को बढ़ाकर तूने महिमा पायी।
तूने प्रदेश की सीमाओं को बढ़ाया।
16 हे यहोवा, तुझे लोग दु:ख में याद करते हैं,
और जब तू उनको दण्ड दिया करता है
    तब लोग तेरी मूक प्रार्थनाएँ किया करते हैं।
17 हे यहोवा, हम तेरे कारण ऐसे होते हैं
    जैसे प्रसव पीड़ा को झेलती स्त्री हो
    जो बच्चे को जन्म देते समय रोती—बिलखती और पीड़ा भोगती है।

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