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22 तुम्हारे मूर्तियों को हमारे पास आकर, जो घट रहा है, वह बताना चाहिये। प्रारम्भ में क्या कुछ घटा था और भविष्य में क्या घटने वाला है। हमें बताओं हम बड़े ध्यान से सुनेंगे। जिससे हम यह जान जायें कि आगे क्या होने वाला है। 23 हमें उन बातों को बताओ जो घटनेवाली हैं। जिन्हें जानने का हमें इन्तज़ार है ताकि हम विश्वास करें कि सममुच तुम देवता हो। कुछ करो! कुछ भी करो। चाहे भला चाहे बुरा ताकि हम देख सकें और जान सके कि तुम जीवित हो और तुम्हारा अनुसरण करें।

24 “देखो झूठे देवताओं, तुम बेकार से भी ज्यादा बेकार हो! तुम कुछ भी तो नहीं कर सकते। केवल बेकार के भ्रष्ट लोग ही तुम्हें पूजना चाहते हैं!”

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