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वह गलियों में जोर से नहीं बोलेगा।
    वह नहीं चिल्लायेगा और न चीखेगा।
वह कोमल होगा।
    कुचली हुई घास का तिनका तक वह नहीं तोड़ेगा।
वह टिमटिमाती हुई लौ तक को नहीं बुझायेगा।
    वह सच्चाई से न्याय स्थापित करेगा।
वह कमजोर अथवा कुचला हुआ तब तक नहीं होगा
    जब तक वह न्याय को दुनियाँ में न ले आये।
    दूर देशों के लोग उसकी शिक्षाओं पर विश्वास करेंगे।”

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