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मैंने प्रकाश को बनाया और मैंने ही अन्धकार को रचा।
    मैंने शान्ति को सृजा और विपत्तियाँ भी मैंने ही बनायीं हैं।
मैं यहोवा हूँ।
    मैं ही ये सब बातें करता हूँ।

“उपर आकाश से पुण्य ऐसे बरसता है जैसे मेघ से वर्षा धरती पर बरसती है!
    धरती खुल जाती है और पुण्य कर्म उसके साथ—साथ उग आते हैं जो मुक्ति में फलते फूलते हैं।
मैंने, मुझ यहोवा ने ही यह सब किया है।

परमेश्वर अपनी सृष्टि का नियन्त्रण करता हैं

“धिक्कार है इन लोगों को, यें उसी से बहस कर रहे हैं जिसने इन्हें बनाया है। ये किसी टूटे हुए घड़े के ठीकरों के जैसे हैं। कुम्हार नरम गीली मिट्टी से घड़ा बनाता है पर मिट्टी उससे नहीं पूछती ‘अरे, तू क्या कर रहा है?’ वस्तुएँ जो बनायी गयी हैं, वे यह शक्ति नहीं रखतीं कि अपने बनाने वाले से कोई प्रश्न पूछे। ये लोग भी मिट्टी के टूटे घड़े के ठीकरों के जैसे हैं।

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