Add parallel Print Page Options

12 “याकूब, तू मेरी सुन!
    हे इस्राएल के लोगों, मैंने तुम्हें अपने लोग बनने को बुलाया है।
    तुम इसलिए मेरी सुनों!
मैं परमेश्वर हूँ, मैं ही आरम्भ हूँ
    और मैं ही अन्त हूँ।
13 मैंने स्वयं अपने हाथों से धरती की रचना की।
    मेरे दाहिने हाथ ने आकाश को बनाया।
यदि मैं उन्हें पुकारूँ तो
    दोनों साथ—साथ मेरे सामने आयेंगे।

14 “इसलिए तुम सभी जो आपस में इकट्ठे हुए हो मेरी बात सुनों!
    क्या किसी झूठे देव ने तुझसे ऐसा कहा है कि आगे चल कर ऐसी बातें घटित होंगी नहीं।”
यहोवा इस्राएल से जिसे, उस ने चुना है, प्रेम करता है।
    वह जैसा चाहेगा वैसा ही बाबुल और कसदियों के साथ करेगा।

Read full chapter