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17 यहोवा जो मुक्तिदाता है और इस्राएल का पवित्र है, कहता है,

“तेरा यहोवा परमेश्वर हूँ।
    मैं तुझको सिखाता हूँ कि क्या हितकर है।
    मैं तुझको राह पर लिये चलता हूँ जैसे तुझे चलना चाहिए।
18 यदि तू मेरी मानता तो तुझे उतनी शान्ति मिल जाती जितनी नदी भर करके बहती है।
    तुझ पर उत्तम वस्तुएँ ऐसी छा जाती जैसे समुद्र की तरंग हों।
19 यदि तू मेरी मानता तो तेरी सन्तानें बहुत बहुत होतीं।
    तेरी सन्तानें वैसे अनगिनत हो जाती जैसे रेत के असंख्य कण होते हैं।
यदि तू मेरी मानता तो तू नष्ट नहीं होता।
    तू भी मेरे साथ में बना रहता।”

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