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11 यहोवा अपने लोगों की रक्षा करेगा।
    वे सिय्योन पर्वत की ओर आनन्द मनाते हुए लौट आयेंगे।
ये सभी आनन्द मग्न होंगे।
    सारे ही दु:ख उनसे दूर कहीं भागेंगे।

12 यहोवा कहता है, “मैं वही हूँ जो तुमको चैन दिया करता है।
    इसलिए तुमको दूसरे लोगों से क्यों डरना चाहिए वे तो बस मनुष्य है जो जिया करते हैं और मर जाते हैं।
वे बस मानवमात्र हैं।
    वे वैसे मर जाते हैं जैसे घास मर जाती है।”

13 यहोवा ने तुम्हें रचा है।
    उसने निज शक्ति से इस धरती को बनाया है!
उसने निज शक्ति से धरती पर आकाश तान दिया किन्तु तुम उसको और उसकी शक्ति को भूल गये।
    इसलिए तुम सदा ही उन क्रोधित मनुष्यों से भयभीत रहते हो जो तुम को हानि पहुँचाते हैं।
तुम्हारा नाश करने को उन लोगों ने योजना बनाई किन्तु आज वे कहाँ हैं (वे सभी चले गये!)

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