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ऊपर आकाशों को देखो।
    अपने चारों ओर फैली हुई धरती को देखो,
आकाश ऐसे लोप हो जायेगा जैसे धुएँ का एक बादल खो जाता है
    और धरती ऐसे ही बेकार हो जायेगी
जैसे पुराने वस्त्र मूल्यहीन होते हैं।
    धरती के वासी अपने प्राण त्यागेंगे किन्तु मेरी मुक्ति सदा ही बनी रहेगी।
    मेरी उत्तमता कभी नहीं मिटेगी।
अरे ओ उत्तमता को समझने वाले लोगों, तुम मेरी बात सुनो।
    अरे ओ मेरी शिक्षाओं पर चलने वालों, तुम वे बातें सुनों जिनको मैं बताता हूँ।
दुष्ट लोगों से तुम मत डरो।
    उन बुरी बातों से जिनको वे तुमसे कहते हैं, तुम भयभीत मत हो।
क्यों क्योंकि वे पुराने कपड़ों के समान होंगे और उनको कीड़े खा जायेंगे।
    वे ऊन के जैसे होंगे और उन्हें कीड़े चाट जायेंगे,
किन्तु मेरा खरापन सदैव ही बना रहेगा
    और मेरी मुक्ति निरन्तर बनी रहेगी।”

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