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10 इन बातों को करने में तूने परिश्रम किया है।
    फिर भी तू कभी भी नहीं थका।
तुझे नई शक्ति मिलती रही
    क्योंकि इन बातों में तूने रस लिया।
11 तूने मुझको कभी नहीं याद
    किया यहाँ तक कि तूने मुझ पर ध्यान तक नहीं दिया!
सो तू किसके विषय में चिन्तित रहा करता था
    तू किससे भयभीत रहता था
तू झूठ क्यों कहता था
    देख मैं बहुत दिनों से चुप रहता आया हूँ
और फिर भी तूने मेरा आदर नहीं किया।
12 तेरी ‘नेकी’ का मैं बखान कर सकता था और तेरे उन धार्मिक कर्मों का जिनको तू करता है, बखान कर सकता था।
    किन्तु वे बातें अर्थहीन और व्यर्थ हैं!

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